آبرو خاک میں باطل کی ملا دی تونے۔
پیاس میں حق کے لیئے جان کو کھونے والے۔
आबरू ख़ाक में बातिल की मिला दी तूने।
प्यास में हक़ के लिए जान को खोने वाले।
ایسے ڈوبے کہ اُبھرنے کا پھر نام نہ لیا۔
کشتیٔ آلِ محمّدؐ کی ڈبونے والے۔
ऐसे डूबे कि उभरने का फिर नाम ना लिया।
कश्ती ए आले मोहम्मद की डुबोने वाले।
حُرؓ کا سر زانوئے شبّیرؑ رہے وقتِ رسا۔
کام روکے سے کہیں رکتے ہیں ہونے والے۔
हुर का सर ज़ानुए शब्बीर रहे वक़्ते रसा।
काम रोके से कहीं रुकते हैं होने वाले।
آبرو خاک میں باطل کی ملا دی تونے۔
پیاس میں حق کے لیئے جان کو کھونے والے۔
आबरू ख़ाक में बातिल की मिला दी तूने।
प्यास में हक़ के लिए जान को खोने वाले।
کلام:- حضرت محمد افضل حسین میم ھندی اجلؔ رحمتہ الله علیہ۔
پیشکش :- مرکزِ افضلیہ ایجوکیشن ٹرسٹ
कलाम:- हज़रत मोहम्मद अफ़ज़ल हुसैन मीम हिन्दी अजल रहमतुल्लाह अलैेह।
पेशकश :- मरकज़ ए अफ़ज़लिया ऐजुकेशन ट्रस्ट