سبزہ و زرد پہ سادہ ہے حقیقت زیادہ۔
جھکنے نہ دینگے ترنگے کو میرا ہے وعدہ۔
सब्ज़ा ओ ज़र्द पे सादा है हक़ीक़त ज़्यादा।
झुकने न देंगे तिरंगे को मेरा है वादा।
یہ ترنگا تو میری جان میری شان ہے یہ،
تعبیرِ خواب ہے باپو کا یہ ارمان ہے یہ۔
جسکی خاطر ہی شہیدوں کا لہو ہے پانی،
دیش پہ مر مٹے حق کے لیئے ایمان ہے یہ۔
وہی زندہ ہے، جو مرنے پہ ہوا امّادہ!
جھکنے نہ دینگے ترنگے کو میرا ہے وعدہ!
ये तिरंगा तो मेरी जान मेरी शान है ये,
ताबीरे ख़्वाब है बापू का ये अरमान है ये।
जिसकी ख़ातिर ही शहीदों का लहू है पानी,
देश पे मर मिटे हक़ के लिए ईमान है ये।
वही जिंदा है, जो मरने पे हुआ आमादा!
झुकने ना देंगे तिरंगे को मेरा है वादा!
خون جو کرتے ہیں لوگوں کا وہ انسان نہیں،
وہ تو حیوان ہے شیطان ہے مسلمان نہیں۔
قابلِ رشک ہیں دنیا میں وہ جو مومن ہیں،
اور جو خوار ہیں وہ صاحبِ ایمان نہیں۔
رب کا پیارا ہے، وہ بندہ جو ہے سیدھا سادہ!
جھکنے نہ دینگے ترنگے کو میرا ہے وعدہ!
ख़ून जो करते हैं लोगों का वो इंसान नहीं,
वो तो हैवान है, शैतान है मुसलमान नहीं।
क़ाबिले रश्क हैं दुनिया में वो जो मोमिन हैं,
और जो ख़्वार हैं वो साहिबे ईमान नहीं।
रब का प्यारा है, वो बंदा जो है सीधा-सादा!
झुकने न देंगे तिरंगे को मेरा है वादा!
سبھی دھرموں کا جو ہے سار وہ سچائی ہے،
آدمی ہے وہ بھلا جس میں کہ اچھائی ہے۔
ڈھائی اچّھر جو پڑھے پریم کا سو پنڈت ہے،
وہ ہے اندھا کہ جس نے گیان نہیں پائی ہے۔
ستّ اور پریم، پر چلنے کا کرو ارادہ!
جھکنے نہ دینگے ترنگے کو میرا ہے وعدہ!
सभी धर्मों का जो है सार वो सच्चाई है,
आदमी है वो भला जिसमें के अच्छाई है।
ढाई अक्षर जो पढ़े प्रेम का सो पंडित है,
वो है अंधा कि जिसने ज्ञान नहीं पाई है।
सत्य और प्रेम, पर चलने का करो इरादा!
झुकने ना देंगे तिरंगे को मेरा है वादा!
رنگ سادہ تو یہ سچائی کی علامت ہے،
اور زردی جو ہے قربانیوں کی چاہت ہے۔
چکر و پہیا سے ہے مقصود ترقی اپنی،
ہرا ہریالی ہے جیون کی رب کی نعمت ہے۔
دیش بھارت کی، ہے تعریف سبھی سے زیادہ!
جھکنے نہ دینگے ترنگے کو میرا ہے وعدہ!
रंग सादा तो ये सच्चाई की अलामत है,
और ज़र्दी जो है क़ुर्बानियों की चाहत है।
चक्र ओ पहिया से है मक़सूद तरक़्क़ी अपनी,
हरा हरियाली है जीवन की रब की नेमत है!!
देश भारत की, है तारीफ़ सभी से ज़्यादा!
झुकने ना देंगे तिरंगे को मेरा है वादा!
مجھے معراؔج غریبوں سے بڑی الفت ہے،
اُنکی خدمت کروں دن رات یہی حسرت ہے۔
میری ہستی سے کسی کا تو بھلا ہو جائے،
ورنہ ہر چیز پر الله کی ہی قدرت ہے۔
فقر و فاقہ، کا کیا میں نے بھی ہے ارادہ!
جھکنے نہ دینگے ترنگے کو میرا ہے وعدہ!
मुझे “मेराज” ग़रीबों से बड़ी उल्फ़त है,
उनकी ख़िदमत करूं दिन-रात यही हसरत है।
मेरी हस्ती से किसी का तो भला हो जाए,
वरना हर चीज़ पर अल्लाह की ही क़ुदरत है।
फ़क्र ओ फ़ाक़ा का किया मैंने भी है इरादा!
झुकने न देंगे तिरंगे को मेरा है वादा!
کلام :- معراؔج افضلی
پیشکش :- مرکزِ افضلیہ ایجوکیشن ٹرسٹ
نوادا بہار (انڈیا)
कलाम :- मेराज अफ़ज़ली
पेशकश :- मरकज़ ए अफ़ज़लिया ऐजुकेशन ट्रस्ट
नवादा बिहार (इण्डिया)