کیا پوچھتے ہو شان بھلا میرے نبیؐ کا۔
ہے نام ہی اللہ سے جڑا میرے نبیؐ کا۔
क्या पूछते हो शान भला मेरे नबी का।
है नाम ही अल्लाह से जुड़ा मेरे नबी का।
کوئی نہیں خلقت میں بجز میرے نبیؐ کے،
خود مدح گر ہے ذاتِ خدا میرے نبیؐ کا۔
कोई नहीं ख़िलक़त में बजुज़ मेरे नबी के,
ख़ुद मिदह-गर है ज़ात ए ख़ुदा मेरे नबी का।
وہ میرے نبیؐ تھے نہیں جی، میرے نبیؐ ہیں۔
ہے شانِ رُسل سب سے جدا میرے نبیؐ کا۔
वो मेरे नबी थे नहीं जी, मेरे नबी हैं।
है शाने रुसुल सबसे जुदा मेरे नबी का।
خود رحمتِ عالم ہیں وہ رحمتِ عالم،
ہو کس سے بیاں حسن و ادا میرے نبیؐ کا۔
ख़ुद रहमते आलम हैं वो रहमते आलम,
हो किससे बयां हुस्नो अदा मेरे नबी का।
کیا سمجھے ائے معراؔج کوئی شان نبیؐ کی،
ہر شئے سے نمایاں ہے پتہ میرے نبیؐ کا۔
क्या समझे ऐ “मेराज” कोई शान नबी की,
हर शैय से नुमायां है पता मेरे नबी का।
کلام :- معراؔج افضلی
پیشکش :- مرکزِ افضلیہ ایجوکیشن ٹرسٹ
نوادا بہار (انڈیا)
कलाम :- मेराज अफ़ज़ली
पेशकश :- मरकज़ ए अफ़ज़लिया ऐजुकेशन ट्रस्ट
नवादा बिहार (इण्डिया)