ہم نے تھاما ہے دامن تمہارا، خواجہ ہو ایک تمہیں تو سہارا۔
ہم نے تھاما ہے دامن تمہارا، خواجہ دے دو اب ہمکو سہارا۔
हमने थामा है दामन तुम्हारा, ख़्वाजा हो एक तुम्हीं तो सहारा।
हमने थामा है दामन तुम्हारा, ख़्वाजा दे दो अब हमको सहारा।
کشمکش میں میری زندگی ہے، ناؤ آکر بھنور میں پھنسی ہے۔
سخت مُشکل کی خواجہ گھڑی ہے، لو بچا اب تو آکر خدارا۔
ہم نے تھاما دامن تمہارا، ہم نے تھاما ہے دامن تمہارا۔
خواجہ دے دو اب ہمکو سہارا، خواجہ دے دو اب ہمکو سہارا۔
कशमकश में मेरी ज़िंदगी है, नाव आकर भंवर में फंसी है।
सख़्त मुश्किल की ख़्वाजा घड़ी है, लो बचा अब तो आकर ख़ुदारा।
हमने थामा है दामन तुम्हारा, हम ने थामा है दामन तुम्हारा।
ख़्वाजा दे दो अब हमको सहारा, ख़्वाजा दे दो अब हमको सहारा।
ڈوب جائے نہ کشتی ہماری، دور ساحل ہے طوفان بھاری۔
موت کی کیفیت سی ہے طاری، ڈھونڈھتا پھر رہا ہوں کنارہ۔
ہم نے تھاما ہے دامن تمہارا، ہم نے تھاما ہے دامن تمہارا۔
خواجہ دے دو اب ہمکو سہارا، خواجہ دے دو اب ہمکو سہارا۔
डूब जाए न कश्ती हमारी, दूर साहिल है तूफ़ान भारी।
मौत की कैफ़ियत सी है तारी, ढूंढ़ता फिर रहा हूं किनारा।
हमने थामा है दामन तुम्हारा, हमने थामा है दामन तुम्हारा।
ख़्वाजा दे दो अब हमको सहारा, ख़्वाजा दे दो अब हमको सहारा।
ہم نے تھاما ہے دامن تمہارا، خواجہ ہو ایک تمہیں تو سہارا۔
ہم نے تھاما ہے دامن تمہارا، خواجہ دے دو اب ہمکو سہارا۔
हमने थामा है दामन तुम्हारा, ख़्वाजा हो एक तुम्हीं तो सहारा।।
हमने थामा है दामन तुम्हारा, ख़्वाजा दे दो अब हमको सहारा।।
کلام :- سرکار میم ہندیؒ شاہ محمد افضل حسین اجلؔ رحمتہ الله علیہ۔
پیشکش :- مرکزِ افضلیہ ایجوکیشن ٹرسٹ
نوادا بہار (انڈیا)
कलाम :- सरकार मीमहिन्दी शाह मोहम्मद अफ़ज़ल हुसैन “अजल” रहमतुल्लाह अलैेह।
पेशकश :- मरकज़ ए अफ़ज़लिया ऐजुकेशन ट्रस्ट
नवादा बिहार (इण्डिया)