وجۂ کُل تخلیقِ آدمؑ ماہِ رمضاں الوداع۔
نورِ دل نورِ بصیرت نورِ ایماں الوداع۔
वजह ए कुल तख़्लीक़े आदम माहे रमज़ाँ अलविदा।
नूरे दिल नूरे बसीरत नूरे ईमाँ अलविदा।
صوم پوشیدہ تھا تو اللہ کے فرمان میں،
بس کہ تو نازل ہوا ہے بن کے قرآں الوداع۔
सोम पोशीदा था तू अल्लाह के फ़रमान में,
बस कि तू नाज़िल हुआ है बनके क़ुरआँ अलविदा।
بندگی میں ہے فضیلت تجھ کو ائے ماہِ صیام،
زہد و تقویٰ بندگیٔ خاصِ یزداں الوداع۔
बंदगी में है फ़ज़ीलत तुझको ऐ माहे सियाम,
ज़ोहदो तक़वा बंदगी ए ख़ास ए यज़दाँ अलविदा।
بھر گیا برکت سے تیری دامنِ غرباء و یتیم،
محسنِ بیکس ہے تو ائے ماہ تاباں الوداع۔
भर गया बरकत से तेरी दामने ग़ुर्बा व यतीम,
मोहसिने बेकस है तू ऐ माहे ताबाँ अलविदा।
تیری آمد سے کھلا تھا خُلد کا ہر ایک باب،
تیری رخصت سے ہوا در بند رضواں الوداع۔
तेरी आमद से खुला था ख़ुल्द का हर एक बाब,
तेरी रुख़सत से हुआ दर बंद रिज़वाँ अलविदा।
✍🏻 کلام :- سرکار میم ہندیؒ شاہ محمد افضل حسین اجلؔ رحمتہ الله علیہ۔
پیشکش :- مرکزِ افضلیہ ایجوکیشن ٹرسٹ
نوادا بہار (انڈیا)
✍🏻 कलाम :- सरकार मीमहिन्दी शाह मोहम्मद अफ़ज़ल हुसैन “अजल” रहमतुल्लाह अलैेह।
पेशकश :- मरकज़ ए अफ़ज़लिया ऐजुकेशन ट्रस्ट
नवादा बिहार (इण्डिया)