Wo Musalman Kaise Musalman Hain? | Kalam e Ajal | Sarkar MeemHindi RA

وہ مُسلمان کیسے مُسلمان ہیں؟اہلِ بیّتؑ سے جنکو محبّت نہیں؟

دُشمنی جنکو آلِ پیمبرؑ سے ہو،واسطے اُنکے کوئی شفاعت نہیں۔

वो मुसलमान कैसे मुसलमान हैं?
अहले बैय्यत से जिनको मोहब्बत नहीं?
दुश्मनी जिनको आल ए पैयम्बर से हो,
वास्ते उनके कोई शफ़ायत नहीं।।

حُکم قرآن میں ہے لَّاۤ اَسۡـَٔلُ،اہلِ بیت سے میری محبّت کرو۔
جس نے انکار احکامِ قرآن سے کی،واسطے اُنکے کوئی ہدائت نہیں۔
دُشمنی جنکو آلِ پیمبرؑ سے ہو،واسطے اُنکے کوئی شفاعت نہیں۔

हुक्म क़ुरआन में है लाअसअलू,
अहले बैय्यत से मेरी मोहब्बत करो।
जिस ने इन्कार एहकाम ए क़ुरआन से की,
वास्ते उनके कोई हिदायत नहीं।।
दुश्मनी जिनको आल ए पैयम्बर से हो,
वास्ते उनके कोई शफ़ायत नहीं।।

باغِ جنت کے سردار ابنِ علیؑ،نوجوانوں کے سردار نورِ نبیؐ۔
پیشوا آپؐ ہی سب رسولوں کے ہیں،آپکے بعد کوئی نبّوت نہیں۔
دُشمنی جنکو آلِ پیمبرؑ سے ہو،واسطے اُنکے کوئی شفاعت نہیں۔

बाग़ ए जन्नत के सरदार इब्न ए अली,
नौजवानों के सरदार नूर ए नबी।
पेशवा आप ही सब रसूलों के हैं,
आपके बाद कोई नब्बुअत नहीं।।
दुश्मनी जिनको आल ए पैयम्बर से हो,
वास्ते उनके कोई शफ़ायत नहीं।।

مرتبہ عاشقوں کا ہے سب سے بڑا،جو حقیقت میں عاشق ہے اللہ کا۔
عشق ہی عاشقوں کے عبادات ہیں،عشق سے بڑھ کے کوئی عبادت نہیں۔
دُشمنی جنکو آلِ پیمبرؑ سے ہو،واسطے اُنکے کوئی شفاعت نہیں۔

मर्तबा आशिक़ो का है सब से बड़ा,
जो हक़ीक़त में आशिक़ है अल्लाह का।
इश्क़ ही आशिक़ो के इबादात हैं,
इश्क़ के बढ़ के कोई इबादत नहीं।।
दुश्मनी जिनको आल ए पैयम्बर से हो,
वास्ते उनके कोई शफ़ायत नहीं।।

ہوئی جب چشم وا میری اَلَمۡ تَرَا،کچھ بھی نہ تھا خلق الحمد کے سوا۔
ابتدا لاالہٰ انتہا لاالہٰ،کچھ کہوں اور اسکی ضرورت نہیں۔
دُشمنی جنکو آلِ پیمبرؑ سے ہو،واسطے اُنکے کوئی شفاعت نہیں۔
وہ مُسلمان کیسے مُسلمان ہیں؟اہلِ بیّتؑ سے جنکو محبّت نہیں؟

हुई जब चश्म वा मेरी अलम तरा,
कुछ भी नहीं था ख़ल्क़ अलहम्द के सिवा।
इब्तेदा लाईलाहा इंतेहा लाईलाहा,
कुछ कहूं और इसकी ज़रूरत नहीं।।
दुश्मनी जिनको आल ए पैयम्बर से हो,
वास्ते उनके कोई शफ़ायत नहीं।।
वो मुसलमान कैसे मुसलमान हैं?
अहले बैय्यत से जिनको मोहब्बत नहीं?

کلام:- حضرت محمد افضل حسین میم ھندی اجلؔ رحمتہ الله علیہ۔
پیشکش :- مرکزِ افضلیہ ایجوکیشن ٹرسٹ
कलाम:- हज़रत मोहम्मद अफ़ज़ल हुसैन मीमहिन्दी अजल रहमतुल्लाह अलैेह।
पेशकश :- मरकज़ ए अफ़ज़लिया ऐजुकेशन ट्रस्ट

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islahi Manqabat Ahle Bait | Wo Musalman Kaise Musalman Hain | By Meraj Afzaly | Kalam Ajal (ra)

 

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