ائے شاہِ دیںؐ شاہِ یثربؐ نظر فرمائیں۔
ائے شاہِ دیںؐ شاہِ یثربؐ نظر فرمائیں۔
ऐ शाहे दीं शाहे यसरब नज़र फ़रमाएं।
ऐ शाहे दीं शाहे यसरब नज़र फ़रमाएं।
دل میں ہے بیقراری، آنکھوں میں پیاس تیری۔
کب سے لگائیں ہیں ہم سرکارؐ آس تیری۔
آکر ذرا مجھے بھی جلوۂ حق دکھائیں،،
ائے شاہِ دیںؐ شاہِ یثربؐ نظر فرمائیں۔
दिल में है बेक़रारी आंखों में प्यास तेरी,
कब से लगाएं हैं हम सरकार आस तेरी।
आकार ज़रा मुझे भी जलवा ए हक़ दिखाएं,,
ऐ शाहे दीं शाहे यसरब नज़र फ़रमाएं।।
کب تک پھنسے رہیں گے ان مرحلوں میں آقاؐ،
پستے رہیں گے کب تک ہم ان کلوں میں آقاؐ۔
کوئی راہ تو نکالیں، منزل کو جس سے پالیں،،
ائے شاہِ دیںؐ شاہِ یثربؐ نظر فرمائیں۔
कब तक फंसे रहेंगे इन मरहलों में आक़ा,
पिसते रहेंगे कब तक हम इन किलों में आक़ा।
कोई राह तो निकालें मंज़िल को जिससे पालें,,
ऐ शाहे दीं शाहे यसरब नज़र फ़रमाएं।।
کس سے میں جاکے پوچھوں؟ کس کا گلہ کروں میں؟
کچھ سمجھ میں نہ آئے کہ کیا کروں میں؟؟
کچھ آپؐ ہی دکھائیں، کچھ آپؐ ہی بتائیں،،
ائے شاہِ دیںؐ شاہِ یثربؐ نظر فرمائیں۔
किससे मैं जाके पूछूं किसका गिला करूं मैं?
कुछ समझ में ना आए कि क्या करूं मैं??
कुछ आप ही दिखाएं कुछ आप ही बताएं,,
ऐ शाहे दीं शाहे यसरब नज़र फ़रमाएं।।
نہ دین میں ہی اچھا، نہ دنیا میں ہی زیبا۔
معراؔج وہ گدھا ہے جو گھاٹ کا نہ گھر کا۔
پر آؤ اپنے سر کو درِ یارؐ میں جھکائیں،،
ائے شاہِ دیںؐ شاہِ یثربؐ نظر فرمائیں۔
ना दीन में ही अच्छा ना दुनिया में ही जे़बा,
“मेराज” वो गधा है जो घाट का न घर का।
पर आओ अपने सर को दरे यार में झुकाएं,,
ऐ शाहे दीं शाहे यसरब नज़र फ़रमाएं।।
کلام :- معراؔج افضلی پیشکش :- مرکزِ افضلیہ ایجوکیشن ٹرسٹ نوادا بہار (انڈیا) कलाम :- मेराज अफ़ज़ली पेशकश :- मरकज़ ए अफ़ज़लिया ऐजुकेशन ट्रस्ट नवादा बिहार (इण्डिया)