ائے شاہِ دو عالمؐ، ائے شاہِ مدینہؐ، مدینہ بُلالو بُلالو مدینہ۔
کہ فرقت میں جینا بھی ہے کیسا جینا، مدینہ بُلالو بُلالو مدینہ۔
ऐ शाहे दो आलम, ऐ शाहे मदीना, मदीना बुला-लो बुला-लो मदीना।
कि फ़ुरक़त में जीना भी है कैसा जीना, मदीना बुला-लो बुला-लो मदीना।
غموں کا کروں کیا بیاں؟ میں کمزور ہوں ناتواں۔
عجیب ہے جہاں کا سماں،، میں جاؤں تو جاؤں کہاں؟؟
بھنور میں پھنسا ہے ہمارا سفینہ،، مدینہ بُلالو بُلالو مدینہ۔۔
ग़मों का करूं क्या बयां? मैं कमज़ोर हूं नातवां।
अजिब है जहां का समां,, मैं जाऊं तो जाऊं कहां??
भंवर में फंसा है हमारा सफ़ीना,, मदीना बुला-लो बुला-लो मदीना।।
یہ اندھوں کی نگری یہاں، کوئی آنکھ والا کہاں؟
ہے کرگس سے پُر یہ جہاں،، کوئی باز دکھتا کہاں؟؟
مسلمان بھولے ہیں تیرا قرینہ،، مدینہ بُلالو بُلالو مدینہ۔۔
ये अंधों की नगरी यहां, कोई आंख वाला कहां?
है करगिस से पुर ये जहां,, कोई बाज़ दिखता कहां??
मुसलमान भूले हैं तेरा क़रीना,, मदीना बुला-लो बुला-लो मदीना।।
ائے معراؔج جاکر وہاں، سنانا یہ سب داستاں۔
بشارت شہِ دو جہاںؐ،، کو لیکر ہی آنا یہاں۔۔
رضائے محمدؐ بڑا ہے خزینہ،، مدینہ بُلالو بُلالو مدینہ۔۔
ائے شاہِ دو عالمؐ، ائے شاہِ مدینہؐ، مدینہ بُلالو بُلالو مدینہ۔
ऐ “मेराज” जाकर वहां, सुनाना ये सब दास्ताँ।
बशारत शहे दो जहां,, को लेकर ही आना यहां।।
रज़ा ए मोहम्मद बड़ा है ख़जीना,, मदीना बुला-लो बुला-लो मदीना।।
ऐ शाहे दो आलम, ऐ शाहे मदीना, मदीना बुला-लो बुला-लो मदीना।
کلام :- معراؔج افضلی
پیشکش :- مرکزِ افضلیہ ایجوکیشن ٹرسٹ
نوادا بہار (انڈیا)
कलाम :- मेराज अफ़ज़ली
पेशकश :- मरकज़ ए अफ़ज़लिया ऐजुकेशन ट्रस्ट
नवादा बिहार (इण्डिया)