Sufiyana Kalam | Allah Allah Meri Dhadkan Sanson Me Salle Ala Hai | Kalam Meraj Afzaly

اللہ اللہ میری دھڑکن، سانسوں میں صلّے علیٰ ہے۔
نبض بھی ہے یہی کہتا، نہیں ہے کوئی خدا ہے۔
اللہ اللہ میری دھڑکن، سانسوں میں صلّے علیٰ ہے۔

अल्लाह अल्लाह मेरी धड़कन, सांसों में सल्ले अला है।
नब्ज़ भी है यही कहता, नहीं है कोई ख़ुदा है।
अल्लाह अल्लाह मेरी धड़कन, सांसों में सल्ले अला है।

دل تیرے رستے میں لٹا دوں گا۔
ہستی کو اپنی میں مٹا دوں گا۔
یہ جان و جسم آل و مال سب تو تیرا ہے،
تونے ہی دیا ہے یہ مجھے کب یہ میرا ہے؟
کسی سے دل نہ لگاؤ،، یہی قرآں کی صدا ہے۔
نبض بھی ہے یہی کہتا، نہیں ہے کوئی خدا ہے۔

दिल तेरे रस्ते में लुटा दूंगा।
हस्ती को अपनी मैं मिटा दूंगा।
ये जानो जिस्म आलो माल सब तो तेरा है,
तूने ही दिया है ये मुझे कब ये मेरा है?
किसी से दिल न लगाओ,, यही कुराँ की सदा है।
नब्ज़ भी है यही कहता, नहीं है कोई ख़ुदा है।

جب تک نہ دل کو تم بچھا دوگے؟
کامل کے قدموں میں جُھکا دوگے۔
بلکل نہیں ممکن ہے کہ مل جائے تجھے راہ،
کر دیں گے فرقے والے ملکر تمہیں گمراہ۔
جب تلک پیر نہ پکڑے،، تیرے کلمے میں خطا ہے۔
نبض بھی ہے یہی کہتا، نہیں ہے کوئی خدا ہے۔

जब तक न दिल को तुम बिछा दोगे?
कामिल के क़दमों में झुका दोगे।
बिल्कुल नहीं मुम्किन है कि मिल जाए तुझे राह,
कर देंगे फिरक़े वाले मिलकर तुम्हें गुमराह।
जब तलक पीर न पकड़े,, तेरे कलमे में ख़ता है।
नब्ज़ भी है यही कहता, नहीं है कोई ख़ुदा है।

تم وصلت کی اپنی پتہ دینا۔
میری حقیقت ہے کیا بتا دینا۔
کب تک یوں ہی انجانے میں بھولا رہوں گا؟
مقبول ہوں یہ سوچ کے پھولا رہوں گا؟
خود کو کامل نہ سمجھنا،، یہ تو دعوتِ بلا ہے۔
نبض بھی ہے یہی کہتا، نہیں ہے کوئی خدا ہے۔

तुम वसलत की अपनी पता देना।
मेरी हक़ीक़त है क्या बता देना।
कब तक यूंही अंजाने में भूला रहूंगा?
मक़बूल हूं ये सोचके फूला रहूंगा?
ख़ुद को कामिल न समझना,, ये तो दावते बला है।
नब्ज़ भी है यही कहता, नहीं है कोई ख़ुदा है।

جو بھی ہے مرشد کی عطائیں ہیں۔
مجھ میں تو غلطی ہے خطائیں ہیں۔
انکے ہی دم قدم سے ہے میرا دین اور دنیا،
جو بھی ہے الحمدللہ اور ماشاءاللہ۔
پار ہو بس میرا بیڑا،، یہی تو دل کی دعا ہے۔
نبض بھی ہے یہی کہتا، نہیں ہے کوئی خدا ہے۔

जो भी है मुर्शिद की अताएं हैं।
मुझमें तो ग़लती है ख़ताएं हैं।
उनके ही दम क़दम से है मेरा दीन और दुनिया,
जो भी अल्हम्दुलिल्लाह और माशा अल्लाह।
पार हो बस मेरा बेड़ा,, यही तो दिल की दुआ है।
नब्ज़ भी है यही कहता, नहीं है कोई ख़ुदा है।

بیعت ہوکر جو ائے معراؔج مکر جائے۔
ایماں لاکر کے بھی جو پھر جائے۔
ہے کیا وجہ کہ ہوتے ہیں اس طرح کے کچھ لوگ؟
اوپر سے صاف ستھرے ہیں دل میں ہے انکے روگ۔
بیعت ہو کرکے مُکرنا،، یہ منافق کی ادا ہے۔
نبض بھی ہے یہی کہتا، نہیں ہے کوئی خدا ہے۔
اللہ اللہ میری دھڑکن، سانسوں میں صلّے علیٰ ہے۔

बैयत होकर जो ऐ “मेराज” मुकर जाए,
ईमाँ लाकर के भी जो फिर जाए।
है क्या वजह कि होते हैं इस तरह के कुछ लोग?
ऊपर से साफ़ सुथरे हैं दिल में है उनके रोग।
बैयत होकर के मुकरना,, ये मुनाफिक़ की अदा है।
नब्ज़ भी है यही कहता, नहीं है कोई ख़ुदा है।
अल्लाह अल्लाह मेरी धड़कन, सांसों में सल्ले अला है।

کلام :- معراؔج افضلی
پیشکش :- مرکزِ افضلیہ ایجوکیشن ٹرسٹ
نوادا بہار (انڈیا)
कलाम :- मेराज अफ़ज़ली
पेशकश :- मरकज़ ए अफ़ज़लिया ऐजुकेशन ट्रस्ट
नवादा बिहार (इण्डिया)

 

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