مجھ سے نہ پردہ کیجئے، دکھلا دیجئے اب اپنا نور۔
ائے میرے ہمنوا، ائے میرے حضورؐ۔
حسن بےپردہ کیجئے، دکھلا دیجئے اب اپنا نور۔
ائے میرے ہمنوا، ائے میرے حضورؐ۔
मुझसे न पर्दा कीजिए, दिखला दीजिए अब अपना नूर।
ऐ मेरे हमनवा, ऐ मेरे हुज़ूर।
हुस्न बेपर्दा कीजिए, दिखला दीजिए अब अपना नूर
ऐ मेरे हमनवा, ऐ मेरे हुज़ूर।
تیری حمد و نعت میں کیا لکھوں؟
صفات و ذات میں کیا لکھوں؟
تم تو رہتے ہو ساتھ میں کیا لکھوں؟
اب اپنی حالت میں کیا لکھوں؟
کبھی رہنا نہ تم مجھ سے دور،،
ائے میرے ہمنوا، ائے میرے حضورؐ۔
तेरी हम्दो नात मैं क्या लिखूं?
सिफ़्फ़ातो ज़ात मैं क्या लिखूं?
तुम तो रहते हो साथ मैं क्या लिखूं?
अब अपनी हालात मैं क्या लिखूं?
कभी रहना न तुम मुझसे दूर,,
ऐ मेरे हमनवा, ऐ मेरे हुज़ूर।
جب تو چاہے جیسا اپنی صورت لیکر آتا ہے۔
تو ہی کبھی معشوق و دلبر، رہبر بن جاتا ہے۔
کبھی تو ہی مرغوب صورت جلوؤں کو دکھلاتا ہے۔
اور کبھی تو رہنما بن کر مجھے سمجھاتا ہے۔
دیتا ہے میرے دل کو سرور،،
ائے میرے ہمنوا، ائے میرے حضورؐ۔
जब तू चाहे जैसा अपनी सूरत लेकर आता है।
तू ही कभी माशूक़ो दिलबर, रहबर बन जाता है।
कभी तू ही मरगू़ब सूरत जलवों को दिखलाता है।
और कभी तू रहनुमा बनकर मुझे समझाता है।
देता है मेरे दिल को सुरूर,,
ऐ मेरे हमनवा, ऐ मेरे हुज़ूर।
پاک کر ائے معراؔج تو دل کو، آئیں گے وہ اس میں ضرور۔
جلوؤں کی پھر ہوگی تجلی، جب جلے گا کوہِ طور۔
کیوں کہ ہیں وہ ساتھ ہمارے، ہیں نہیں ہم سے وہ دور۔
شیشۂ دل جو چور ہوا تو نکلے گا اس میں سے حور۔
ہونے دے تو دل کو چور،،
ائے میرے ہمنوا، ائے میرے حضورؐ۔
पाक कर ऐ “मेराज” तू दिल को, आएंगे वो इसमें ज़रूर।
जलवों की फिर होगी तज्जली, जब जलेगा कोहे तूर।
क्योंकि हैं वो साथ हमारे, हैं नहीं हमसे वो दूर।
शीशा ए दिल जो चूर हुआ तो निकलेगा उसमें से हूर।
होने दे तू दिल को चूर,,
ऐ मेरे हमनवा, ऐ मेरे हुज़ूर।
کلام :- معراؔج افضلی
پیشکش :- مرکزِ افضلیہ ایجوکیشن ٹرسٹ
نوادا بہار (انڈیا)
कलाम :- मेराज अफ़ज़ली
पेशकश :- मरकज़ ए अफ़ज़लिया ऐजुकेशन ट्रस्ट
नवादा बिहार (इण्डिया)