مُنکشف راز میم ہندیؒ اگر ہو جائے،
چھوڑ کر سب کو زمانہ ہی اِدھر ہو جائے۔
मुनकशिफ़ राज़ मीमहिन्दी अगर हो जाए,
छोड़कर सबको ज़माना ही इधर हो जाए।।
پیر و مرشد کی بھلا تم سے کیا تعریف کروں؟
دیکھ لو تم بھی اگر تم کو نظر ہو جائے۔۔
पीरो मुर्शिद की भला तुम से क्या तारीफ़ करूं?
देख लो तुम भी अगर तुमको नज़र हो जाए।।
عرش و کرسی پہ ہے ہر سمت ہی چرچہ اُن کا،
غیر ممکن ہے کوئی اُن سا بشر ہو جائے۔۔
अर्सो कुर्सी पे है हर सिमत ही चर्चा उनका,
ग़ैर मुमकिन है कोई उन सा बशर हो जाए।।
آپ ظاہر میں ہیں کچھ اور ہیں باطن میں اور،
یا الٰہی یہ بات سب کو خبر ہو جائے۔۔
आप ज़ाहिर में हैं कुछ और हैं बातिन में और,
या इलाही ये बात सबको ख़बर हो जाए।।
التجا پیر و مرشد سے ہے یہ ائے معراؔج،
ساری دنیا میں خاص آپ کا در ہو جائے۔۔
इल्तिजा पीर व मुर्शिद से है ये ऐ “मेराज”,
सारी दुनिया में ख़ास आपका दर हो जाए।।
کلام :- معراؔج افضلی
پیشکش :- مرکزِ افضلیہ ایجوکیشن ٹرسٹ
نوادا بہار (انڈیا)
कलाम :- मेराज अफ़ज़ली
पेशकश :- मरकज़ ए अफ़ज़लिया ऐजुकेशन ट्रस्ट
नवादा बिहार (इण्डिया)