مصطفیٰؐ، مصطفیٰؐ، مصطفیٰؐ، مصطفیٰؐ،
مصطفیٰؐ، مصطفیٰؐ، مصطفیٰؐ، مصطفیٰؐ۔
مرحبا، مرحبا، مرحبا، مرحبا،
مرحبا، مرحبا، مرحبا، مرحبا۔
मुस्तफ़ा, मुस्तफ़ा, मुस्तफ़ा, मुस्तफ़ा,
मुस्तफ़ा, मुस्तफ़ा, मुस्तफ़ा, मुस्तफ़ा।
मरहबा, मरहबा, मरहबा, मरहबा,
मरहबा, मरहबा, मरहबा, मरहबा।
دینِ اکمل کی بات ہو کیا؟ رب کا محبوب جب آ گیا۔
سارا عالم پکار اٹھا،، مصطفیٰؐ، مصطفیٰؐ، مصطفیٰؐ، مصطفیٰؐ۔۔
दीन ए अकमल की बात हो क्या? रब का महबूब जब आ गया।
सारा आलम पुकार उठा,, मुस्तफ़ा, मुस्तफ़ा, मुस्तफ़ा, मुस्तफ़ा।।
درِ خیبر کا وہ واقعہ، جانتے ہیں سبھی کیا ہوا؟
دے رہے تھے فرشتے صدا،، مرتضیٰؑ، مرتضیٰؑ، مرتضیٰؑ، مرتضیٰؑ۔۔
दर ए ख़ैबर का वो वाक़िआ, जानते हैं सभी क्या हुआ?
दे रहे थे फ़रिश्ते सदा,, मुर्तज़ा, मुर्तज़ा, मुर्तज़ा, मुर्तज़ा।।
فقر و فاقہ کی وہ صاحبہ، متقی، پارسا، زاہدہ۔
ہے وہ کون ذرا تو بتا؟؟ فاطمہؑ، فاطمہؑ، فاطمہؑ فاطمہؑ۔۔
फक़रो फ़ाक़ा की वो साहिबा, मुत्तक़ी, पारसा, ज़ाहिदा।
है वो कौन ज़रा तू बता?? फ़ातिमा, फ़ातिमा, फ़ातिमा, फ़ातिमा।।
کلمہ طیب کی شرح و بیاں، ابنِ حیدرؑ کی ہے داستاں۔
اۓ معراؔج ہے تیرا دھیان کہاں؟؟ کربلا کربلا کربلا کربلا۔۔
कलमा तैय्यब की शरह व बयां, इब्ने हैदर की है दास्ताँ।
ऐ “मेराज” है तेरा ध्यान कहां?? कर्बला, कर्बला, कर्बला, कर्बला।।
سارے ولیوں کے وہ پیشوا، پیروں کے پیر اور رہنما۔
تینوں عالم کے ہیں ناخدا،، غوث الورٰیؒ، غوث الورٰیؒ، غوث الورٰیؒ، غوث الورٰیؒ۔۔
सारे वलियों के वो पेशवा, पीरों के पीर और रहनुमा।
तीनों आलम के हैं ना ख़ुदा,, ग़ौस उल वरा, ग़ौस उल वरा, ग़ौस उल वरा, ग़ौस उल वरा।।
خواجۂ خواجگان معینؒ، اپنے ہندوستاں کے امین۔
وہ ولایت کے زیبا نگیں،، خواجہ پیاؒ، خواجہ پیاؒ، خواجہ پیاؒ، خواجہ پیاؒ۔۔
ख़्वाजा ए ख़्वाजगान मुईन, अपने हिंदुस्ताँ के अमीन।
वो विलायत के ज़ेबा नगीं,, ख़्वाजा पिया, ख़्वाजा पिया, ख़्वाजा पिया, ख़्वाजा पिया।।
وارثِ پاکؒ عالم پناہ،، بےکُلہ رشکِ اہل کُلاہ۔
کردو ہم پہ بھی اب ایک نگاہ،، وارث پیاؒ، وارث پیاؒ، وارث پیاؒ، وارث پیاؒ۔۔
वारिस ए पाक आलम पनाह, बे कुलह रश्के अहले कुलाह।
करदो हम पे भी अब एक निगाह,, वारिस पिया, वारिस पिया, वारिस पिया, वारिस पिया।।
شاہِ مخدومؒ شاہِ بہار، مالکِ مُلک با اختیار۔
عشقِ حق میں ہے دل زار زار،، مخدوم شاہؒ، مخدوم شاہؒ، مخدوم شاہؒ، مخدوم شاہؒ۔۔
शाहे मखदूम शाहे बिहार, मालिके मुल्क बा इख़्तियार।
इश्क़े हक़ में है दिल ज़ार ज़ार,, मख़दूम शाह, मख़दूम शाह, मख़दूम शाह, मख़दूम शाह।।
پیر و مُرشد میم ہندیؒ، بحر و قلزم مئے عرفان کی۔
دیجیئے بھیک ایک قطرہ ہی،، افضل پیاؒ، افضل پیاؒ، افضل پیاؒ، افضل پیاؒ۔۔
पीरो मुर्शिद मीमहिन्दी, बहरो क़ुलज़म मय ए इरफ़ान की।
दीजिए भीक एक क़तरा ही,, अफ़ज़ल पिया, अफ़ज़ल पिया, अफ़ज़ल पिया, अफ़ज़ल पिया।।
کلام :- معراؔج افضلی
پیشکش :- مرکزِ افضلیہ ایجوکیشن ٹرسٹ
نوادا بہار (انڈیا)
कलाम :- मेराज अफ़ज़ली
पेशकश :- मरकज़ ए अफ़ज़लिया ऐजुकेशन ट्रस्ट
नवादा बिहार (इण्डिया)