شاہِ یشربؐ تیرا جواب نہیں،
تیری وصفوں کا کچھ حساب نہیں۔
تجھ سے بڑھکر کوئی شباب نہیں۔۔
शाहे यशरब तेरा जवाब नहीं,
तेरी वस्फों का कुछ हिसाब नहीं।
तुझसे बढ़कर कोई शबाब नहीं।।
توکہ محبوب اور حبیبِ خدا، حور و غلماں، سبھی ہیں تجھ پہ فدا۔
توکہ جانِ وجود و نورِ ہدیٰ، صاحبِ حق قرآن حق والا۔
تجھ سے بڑھکر کوئی کتاب نہیں،،
شاہِ یشربؐ تیرا جواب نہیں۔
तू के महबूब और हबीबे ख़ुदा, हूरो गिलमां सभी हैं तुझपे फ़िदा।
तू के जाने वजूदो नूर ए हुदा, साहिब ए हक़ कु़रान हक़ वाला।
तुझसे बढ़कर कोई किताब नहीं,,
शाहे यशरब तेरा जवाब नहीं।
توکہ ائے میرے ہادئ اعظم، شاہِ ابرار ائے شفیع الامم۔
تیرے در پہ کھڑا ہوں میں سر خم،، چاہئے مجھ کو تیرا لطف و کرم۔
ہوگی کیا ہم پہ بھی الطاف نہیں؟؟
شاہِ یشربؐ تیرا جواب نہیں۔
तू के ऐ मेरे हादी ए आज़म, शाहे अबरार ऐ सफ़ी उल उमम।
तेरे दर पे खड़ा हूं मैं सर खम, चाहिए मुझको तेरा लुत्फ़ो करम।
होगी क्या हमपे भी अल्ताफ नहीं??
शाहे यशरब तेरा जवाब नहीं।
توہی میرا سفر میری منزل، توہی میرا ہے مقصود و حاصل۔
توہی ہرسو اور اندرونِ دل، میاں معراؔج سے توہی واصل۔
بجز ایک تیرے کوئی خواب نہیں،،
شاہِ یشربؐ تیرا جواب نہیں۔
तूही मेरा सफ़र मेरी मंज़िल, तूही मेरा है मक़सूदो हासिल।
तूही हरसु और अंदरूने दिल, मियां “मेराज” से तूही वासिल।
बजुज़ एक तेरे कोई ख़्वाब नहीं,,
शाहे यशरब तेरा जवाब नहीं।
کلام :- معراؔج افضلی
پیشکش :- مرکزِ افضلیہ ایجوکیشن ٹرسٹ
نوادا بہار (انڈیا)
कलाम :- मेराज अफ़ज़ली
पेशकश :- मरकज़ ए अफ़ज़लिया ऐजुकेशन ट्रस्ट
नवादा बिहार (इण्डिया)