Marfati Kalam | Tu Ae Dil Allah Allah Kar | Kalam Meraj Afzaly

تو ائے دل اللہ اللہ کر، تو ہی اس کا در ہے ائے دل، تو ہی اس کا گھر۔
تو ائے دل اللہ اللہ کر۔۔

तू ऐ दिल अल्लाह अल्लाह कर, तू ही उसका दर है ऐ दिल, तू ही उसका घर।
तू ऐ दिल अल्लाह अल्लाह कर।।

تجھ میں ہی ہے سارا صفت، تجھ میں ہی وہ چھپا ہے۔
کہہ نہیں سکتا ہوں کہ ائے دل تیرے اندر کیا ہے؟
کہ دریا چھپا ہے کوزے کے اندر، کوزہ تیرے اندر۔
تو ائے دل اللہ اللہ کر۔۔

तुझमें ही है सारा सिफ्फत, तुझमें में ही वो छुपा है।
कह नहीं सकता हूं कि ऐ दिल तेरे अंदर क्या है?
कि दरिया छुपा है कूज़े के अंदर, कूज़ा तेरे अंदर।
तू ऐ दिल अल्लाह अल्लाह कर।।

تو جو کرے گا اللہ اللہ ہوگی ساری باتیں،
ظاہر ہوگی تجھ سے ائے دل حق کی سب صفاتیں۔
آئینہ سا جب تو چمکے گا، دیکھوں گا میں سربسر۔
تو ائے دل اللہ اللہ کر۔۔

तू जो करेगा अल्लाह अल्लाह होगी सारी बातें,
ज़ाहिर होगी तुझ से ऐ दिल हक़ की सब सिफ्फातें।
आईना सा जब तू चमकेगा, देखूंगा मैं सर-बसर।
तू ऐ दिल अल्लाह अल्लाह कर।।

مذکور بھی خود، ذاکر بھی خود، عجیب ہے اس کی باتیں۔
ایسے پیارے یار کو ائے دل کیا دوں میں سوغاتیں؟
کچھ بھی نہیں ہے کچھ بھی نہیں بس، موت کے پہلے مر۔
تو ائے دل اللہ اللہ کر۔۔

मज़कूर भी ख़ुद, ज़ाकिर भी ख़ुद, अजिब है उसकी बातें।
ऐसे प्यारे यार को ऐ दिल क्या दूं मैं सौगातें?
कुछ भी नहीं है कुछ भी नहीं बस, मौत के पहले मर।
तू ऐ दिल अल्लाह अल्लाह कर।।

دل کو اپنے سنبھالو معراؔج دل ہی سارا خزانہ،
لیکن دل کا دشمن دنیا، دل کا دشمن زمانہ۔
کیوں نہ مجھے اس دل کے خاطر، پھرنا پڑے دربدر۔
تو ائے دل اللہ اللہ کر۔۔

दिल को अपने संभालो “मेराज” दिल ही सारा ख़ज़ाना,
लेकिन दिल का दुश्मन दुनिया, दिल का दुश्मन ज़माना।
क्यों न मुझे इस दिल के ख़ातिर, फिरना पड़े दर-बदर।
तू ऐ दिल अल्लाह अल्लाह कर।।

کلام :- معراؔج افضلی
پیشکش :- مرکزِ افضلیہ ایجوکیشن ٹرسٹ
نوادا بہار (انڈیا)
कलाम :- मेराज अफ़ज़ली
पेशकश :- मरकज़ ए अफ़ज़लिया ऐजुकेशन ट्रस्ट
नवादा बिहार (इण्डिया)

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